NATIONAL COUNCIL FOR PROMOTION OF SINDHI LANGUAGE -NCPSL

 

NATIONAL COUNCIL FOR PROMOTION OF SINDHI LANGUAGE -NCPSL

आदरणीय इंद्रेश कुमार जी ने आज, 25 जून को लेह में राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद ( NATIONAL COUNCIL FOR PROMOTION OF SINDHI LANGUAGE -NCPSL) द्वारा आयोजित नेशनल सेमिनार,” ROLE OF SINDHU DARSHAN UTSAV IN THE DEVELOPMENT OF NATIONAL UNITY & PROMOTION OF SINDHI LANGUAGE & CULTURE” में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया । यह वर्ष इस संस्था का रजत जयंती वर्ष है ।

आदरणीय इंद्रेश कुमार जी के इस सेमिनार में संबोधन के प्रमुख अंश:

1. सिंधी भाषा भारत की मातृभाषा थी, है और रहेगी ।

2. सिंध और हिंद का अलग होना अननेचुरल (unnatural) है और एक होना स्वभाविक है।

3. सिंध हिंदुस्तानियों के दिल में है, हिंदुस्तान के राष्ट्रगान में है और सिंध बहुत जल्दी भारत का दोबारा से हिस्सा बनेगा।

4. सिंधु दर्शन यात्रा सीमावर्ती क्षेत्रों को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने का एक सफल प्रयोग है ।

5. पूरे साल लेह लद्धाख की जनता सिंधु दर्शन उत्सव का बेसब्री से इंतजार करती है और पूरा राष्ट्र भी इस यात्रा को बड़े ध्यान से देखता है ।

6. आओ इस यात्रा के माध्यम से संकल्प लें कि अब देश का कोई भी हिस्सा कटने नहीं देंगे और कोई भी भारतवासी बेमौत मरने नहीं देंगे ।

7. इस यात्रा के माध्यम से लेह लद्धाख के लोगों ने पूरे देश को संदेश दिया है कि जैसे लेह लद्धाख का क्षेत्र छुआछूत से मुक्त है बैसे ही पूरा देश छुआछूत से मुक्त हो ।

इस अवसर पर सिंधी समाज की तरफ से श्री मुरलीधर मखीजा जी, श्री राधा किशन बगैया जी, गणेश तहिलयानी जी, अजीत जी, सुरेश बबलानी जी, लक्ष्मण खेतानी जी, मनीष देवनानी जी, राजेंद्र प्रेमचंदानी जी, सुश्री कविता असरानी जी, श्री मुकेश लखवानी जी, ज्ञान प्रकाश टेकचंदानी जी, सहित कई अन्य गणमान्य लोग इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे ।

वीडियो एवं विवरण साभार :-

श्री ऋषि वालिया जी (महासचिव हिमालय परिवार हिमाचल प्रदेश)

आदरणीय इंद्रेश कुमार जी के मार्गदर्शन में, पवित्र सिंधु नदी के किनारे, सिंधु दर्शन उत्सव के दौरान, अलग-अलग प्रांतों, अलग-अलग धर्मों, अलग-अलग जातियों के समूह ने बनाई एकता की चेन और आवाहन किया कि, “हम सब एक थे, एक हैं और एक रहेंगे।”

हम सब एक बनेंगे और नेक बनेंगे ।

भारत माता की जय !!

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